Wednesday, March 24, 2010

ध्यान धुरंधर

केवल ध्यान ही ध्यान नहीं है
उनके ध्यान में सब कुछ है
सब जन हैं उनके ध्यान में
वे सब जो ध्यान नहीं करते
और करते हैं तो कितना खराब करते हैं

उनके ध्यान में सब कुछ है
इसका भी ध्यान है उन्हें कि
कौन किससे मिलता है
क्या करता है
क्या नहीं करता
कहां जाता है
कहां नहीं जाता

वे जब ध्यान के किसी बड़े आयोजन से लौटते हैं
तो दुखी होते हैं
बताते हैं यही सब कि
कौन कौन आया था
कौन नही आया
किसने क्या कहा
किसने क्या नहीं कहा
कौन कितना खा रहा था
कौन कहां खा रहा था
कौन अपने महत्व को समझ रहा था
कौन नहीं समझ रहा था
उनके ध्यान में सब कुछ रहता है

शहर के वे सबसे बड़े ध्यानी हैं
उनकी शिकायत में ध्यान है
बस अपने ही ध्यान का नही है उन्हें ध्यान
सबका ध्यान है
बहुत बहुत शिकायत है उनके ध्यान में ।
07022010

4 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना है....आपके प्रोफाइल में लिखी पंक्तियाँ बहुत प्रभावी और खूबसूरत हैं....
    मेरे ब्लॉग पर इज्जत अफजाई का बहुत शुक्रिया.

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  2. पहले समझ में नहीं आया ... पर जब ध्यान से पढ़ा तो ध्यान में आया की ध्यान पर लिखी कविता है ... बहुत सुन्दर है ...

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  3. अरे भाई नई पोस्ट डालो ...आपकी पोस्ट का इंतजार है

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