केवल ध्यान ही ध्यान नहीं है
उनके ध्यान में सब कुछ है
सब जन हैं उनके ध्यान में
वे सब जो ध्यान नहीं करते
और करते हैं तो कितना खराब करते हैं
उनके ध्यान में सब कुछ है
इसका भी ध्यान है उन्हें कि
कौन किससे मिलता है
क्या करता है
क्या नहीं करता
कहां जाता है
कहां नहीं जाता
वे जब ध्यान के किसी बड़े आयोजन से लौटते हैं
तो दुखी होते हैं
बताते हैं यही सब कि
कौन कौन आया था
कौन नही आया
किसने क्या कहा
किसने क्या नहीं कहा
कौन कितना खा रहा था
कौन कहां खा रहा था
कौन अपने महत्व को समझ रहा था
कौन नहीं समझ रहा था
उनके ध्यान में सब कुछ रहता है
शहर के वे सबसे बड़े ध्यानी हैं
उनकी शिकायत में ध्यान है
बस अपने ही ध्यान का नही है उन्हें ध्यान
सबका ध्यान है
बहुत बहुत शिकायत है उनके ध्यान में ।
07022010
Wednesday, March 24, 2010
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बहुत सुन्दर रचना है....आपके प्रोफाइल में लिखी पंक्तियाँ बहुत प्रभावी और खूबसूरत हैं....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर इज्जत अफजाई का बहुत शुक्रिया.
पहले समझ में नहीं आया ... पर जब ध्यान से पढ़ा तो ध्यान में आया की ध्यान पर लिखी कविता है ... बहुत सुन्दर है ...
ReplyDeleteYah bhi khoob rahi!
ReplyDeleteअरे भाई नई पोस्ट डालो ...आपकी पोस्ट का इंतजार है
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