Wednesday, March 24, 2010

ध्यान धुरंधर

केवल ध्यान ही ध्यान नहीं है
उनके ध्यान में सब कुछ है
सब जन हैं उनके ध्यान में
वे सब जो ध्यान नहीं करते
और करते हैं तो कितना खराब करते हैं

उनके ध्यान में सब कुछ है
इसका भी ध्यान है उन्हें कि
कौन किससे मिलता है
क्या करता है
क्या नहीं करता
कहां जाता है
कहां नहीं जाता

वे जब ध्यान के किसी बड़े आयोजन से लौटते हैं
तो दुखी होते हैं
बताते हैं यही सब कि
कौन कौन आया था
कौन नही आया
किसने क्या कहा
किसने क्या नहीं कहा
कौन कितना खा रहा था
कौन कहां खा रहा था
कौन अपने महत्व को समझ रहा था
कौन नहीं समझ रहा था
उनके ध्यान में सब कुछ रहता है

शहर के वे सबसे बड़े ध्यानी हैं
उनकी शिकायत में ध्यान है
बस अपने ही ध्यान का नही है उन्हें ध्यान
सबका ध्यान है
बहुत बहुत शिकायत है उनके ध्यान में ।
07022010

Monday, March 1, 2010

होली हंसी ठिठोली है ,

होली हंसी ठिठोली है ,
बुरा न मानो होली है


बुरा न मानो होली है ।
बुरा न मानो होली है ।।

दीवानों की टोली है
मुंह में भांग की गोली है
गरिआती हर बोली है
लेकिन बिल्कुल भोली है
यह सबकी मुंहबोली है
हर भड़ास हमजोली है
रंग ने मस्ती घोली है
हरी भरी हर डोली है
बौराई अमरोली है
बुरा न मानो होली है

काम नेक ये कर बैठी
नाम एक से कर बैठी
सबकी सब पहचान मिटी
आनोबानोशान मिटी
लेकर सभी गुलाल चले
सब मिट्टी के लाल चले
किसने कितने गाल मले ?
सबमें यही सवाल चले
होली हंसी ठिठौली है
बुरा न मानो होली है

हर पल कितना धांसू है
आंख में एक न आंसू है
कितने कितने रंग खिले
जब अंगों से अंग मिले
पृष्ठ खुले हैं खातों के
गलबंहियों के नातों के
जोड़ तोड़ न बाक़ी है
जमा एक बेबाकी है
चाहे खाली झोली है
बुरा न मानो होली है

होली है .....दिन/दिनांक: 01 मार्च 2010