Monday, April 11, 2011

अन्ना हजारे का ब्लडप्रेशर और मेरा

अब मेरा ब्लड प्रेशर नार्मल है।
जब से अन्ना हजारे ने नीबू का रस पिया है तभी से मैं खटास से भरा हुआ था। ब्लडप्रेशर और नशा उतारनेवाले नीबू ने मुझ पर ‘उल्टा असर’ कर दिया था। साइड इफेक्ट जानबूझकर नहीं कह रहा हूं। साइड इफेक्ट के मामले में ‘जो लेता है उसी को होता है’ का भाव है। ‘उल्टा असर’ कुछ कुछ रेडियो एक्टिविटी टाइप का है। पीता कोई और है नशा किसी ओर को हो जाता है। घरेलू मामलों में इसकी तुलना वेतन या रिश्वत से की जा सकती है। वेतन मिलता मिस्टर को है और नशा मिसेस को हो जाता है। रिश्वत वेतन का जुड़वा भाई है। ऐसा जुड़वा भाई जिसमें एक खाता है तो दूसरा फूलकर कुप्पा हो जाता है। इकन्डा वेतन तो घर का न घाट का।
मैं बता रहा था कि मेरा ब्लडप्रशर नार्मल है।
बल्डप्रेशर तो अन्ना हजारे का भी नार्मल है। अब उनकी वाणी में आत्मविश्वास और ‘जीत गए’ के भाव का ‘हाईपर-टन्ेशन’ चल रहा है। बाबा रामदेव योग के माध्यम से अपना ब्लडप्रेशर नार्मल बनाए रखने का जुगाड़ कर रहे हैं। राजनारायण के वकील रहे प्रशांत भूषण अपने बेटे के साथ उस कमेटी में आ गए हैं जो भ्रष्टाचार विरोधी बिल का मसविदा तैयार करेंगे। हजारे के खास एनजीओ अरविंद केजरीवाल भी कमेटी में हैं। अन्ना हजारे भी कमेटी में आकर अब पूरा आहार ले रहे हैं और बढ़िया बिहार कर रहे है।
प्रणव मुखर्जी , कपिल सिब्बल ,चिदम्बरम वगैरह भी बिल्कुल फिट हैं और उतने ही हिट ठहाके दे रहे हैं जितने अन्ना हजारे के समर्थक दे रहे हैं। यानी दोनों पक्ष मजे में हैं और भ्रष्टाचार भी, मैंने सुना है कि पूरी नींद ले रहा है और हमेशा की तरह उसका भी ब्लडप्रेशर नार्मल है। ब्लडप्रेशर मेरा भी नार्मल है,जी, जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूं।
जी ? क्या कहा अब आपका बढ़ रहा है। प्लीज़ , रिलैक्स , होल्ड योअर सेल्फ़, ब्रीथ डीपली , मैं बस मुद्दे पर ही आ रहा हूं। आप ठीक कह रहे हैं कि जब सबका ब्लड प्रेशर नार्मल है तो फिर मैं पूर्ण विराम लगाकर बात खत्म क्यों नहीं कर रहा हूं। दरअसल मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं। मैं बताना चाहता हूं कि मेरा ब्लडप्रेशर हाई क्यों हुआ था और नार्मल क्यों हुआ।
आदरणीय भारतीय बंधुओं जिन दिनों ये त्रिअंकी महानाटक यानी तीन दिवसीय अनशन चला और चतुर्थ एपिसोड में जिसका पटाक्षेप हुूआ उन दिनों मैं इतिहास लेखन कर रहा था। अपने आप बेख्याली में। कुछ बेहोशी और कुछ नीम-होशी में। कुछ सूत्र कागज पर उतारे थे। जब अन्ना हजारे ने नीबू का उतारा लिया और उनकी टीम घोषित हुई तभी से मेरा खून चढ़ने लगा। पहले आप मेरे इतिहास लेखन की रफ हैडिंग यानी सूत्र देख ले और मेरे निष्कर्ष का पूर्वानुमान कर लें। जिस कागज को देखकर मेरा ब्लडप्रशर बढ़ा और शांत भी हुआ वह एन्वास की तरह आपकी सेवा में हाजिर है...........अन्ना हजारे , बाबा रामदेव , भ्रष्टाचार, भ्रष्टाचार उन्मूलन, महाभ्रष्टाचार, भगतसिंह और महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र और जवाहरलाल, पहली आजादी, इमरजेन्सी, जयप्रकाश और संपूर्ण क्रांति , दूसरी आजादी, राजनारायण और मोरारजी देसाई , चरणसिंह और जेठमलानी, चंद्रशेखर (सीधे-सीधे प्रधानमंत्री), निजी सुरक्षा और प्रधानमंत्राणी, मिस्टर क्लीन ,बोफोर्स और विश्वनाथ प्रताप सिंह, तीसरी जातियों को आरक्षण, विलंबित ताल में राग अटलबिहारी, लाल-रथ की राम-यात्रा , सिंग! व्हेअर इज़ किंग?, विदेशी धन , भ्रष्टाचार और रामदेव, रामदेव बनाम अन्ना हजारे.............तालियां!!!
तालियां इसलिए कि नाटक के अंदर के नाटक को आपके इतिहासबोध ने इस कदर समझ लिया कि अब कोई नाटक कारगर नहीं होनेवाला। जी, मैं इसी स्तर का विश्वास करता हूं। मैं विश्वास करता हूं कि इन सूत्रों को बंटकर इतिहास की उमेटन के जरिये एक शानदार लेख अब तक बहुतों ने तैयार कर लिया होगा। एक एक पुस्तक भी कइयों ने रच डाली होगी। हम चेतन भगत के देश के चेतनाशील प्राणी हैं। ऐसी बातों पर पुस्तक लिखने में हमें देर नहीं लगती।
मैं उपसंहार लिखता हूं। अक्सर ऐसा होता है कि घटना घटती है और मैं उपसंहार लिखना शुरू कर देता हूं।
इस बार भी ऐसा ही हुआ। उधर दिल्ली में देशभर के भ्रष्टाचार विरोधी एकत्र हो रहे थे और मैं बेचैनी से उपसंहार लिख रहा था। मैं रामदेव के दिल्ली पहुंचने का इंतजार कर रहा था। उन्होंने रामकथा आयोजित की हुई थी। उधर रामलीला चल रही थी और दिल्ली में अन्ना का गरबा। आखिर रामदेव भी पहुंचे। पहुंचना ही था। मैं जो इंतजार कर रहा था। वे चिंघाड़चिघाड़कर बोले। ऐसा बोलते बोलते उनका गला खराब हो गया है और वे अपना मूल स्वर खो बैठे हैं। वे भ्रष्टाचार का भविष्य देख रहे थे। मैं भारत के भविष्य को लेकर चिंतित था। चिंता तो सुना है हजारे और किरन बेदी को भी थीै। हजारे और किरन बेदी की पृष्ठभूमि लगभग बराबर की है। अन्ना हजारे सेना से त्यागपत्र देकर देश की चिन्ता में घर लौट आए थे। किरन बेदी भी पुलिस की नौकरी से त्याग पत्र देकर घर में बैठकर देश की चिन्ता कर रही थीं। दोनों में खूब गुजर रही थी। मैंने देखा कि सवाल मीडिया अन्ना से करती थी और कभी अरविंद और कभी किरन बेदी अन्ना के कान में अपना मुंह छुआ देते थे। अन्ना तमक कर अपना पुख्ता इरादा व्यक्त करते थे। यह इरादा सामूहिक भोज में रखे उस पतीले जैसा था जिसमें से आमंत्रित जितना चाहे उतना भात निकाल सकता था। मैं खुश हो रहा था क्योंकि इतिहास मेरे हिसाब से घट रहा था।
फिर कमेटी की घोषणा होते ही मैं उछल पड़ा। ‘घट गया , घट गया , इतिहास घट गया।’ मैं आर्केमिडीज़ की तरह चिल्लाने लगा। पत्नी ने मुझे ‘मुहल्लेवाले क्या कहेंगे’ का डंडा मारकर शांत किया। मैं उसे कह नहीं पाया कि बेवकूफ इतिहास घट गया है और तू मोहल्लेवालों से डर रही है।
खैर ,सारा देश जश्न मना रहा था। पर मुझे दूसरे ही फटाके के फूटने का इंतजार था। जब दूसरे दिन भी वह फटाका नहीं फूटा तो मैं टूट गया। मेरी खुशी को पाला मार गया।
दरअसल मैं सोच रहा था कि बाबा रामदेव कुछ बोलें। उनका नाम कमेटी में नहीं आया था और मैं उनके फटने का इंतजार कर रहा था। भ्रष्टाचार मिटाने का अभियान उन्हीं ने छेड़ा था। विदेश में जमा धन को देश में लाने का अभियान भी उन्हीं का था। सत्ता की नाक में वर्षों से वे दम किये हुए थे। वे कई चेहरे जो अन्ना के आसपास एकत्र हो गए थे ,वे उनके आसपास होते थे। तीन दिन में वे हासिये में आ गए। मैं इसके बाद का सारांश लिख चुका था। पर वह लिखा हुआ कागज से जमीन पर नहीं आ रहा था। मेरा ब्लड प्रेशर यहीं से बढ़ना शुरू हुआ। गरीबी हटाओ वालों ने उस अभियान के तहत स्वीजरलैंड में अकूत
धन जमा कर लिया। तोपबाजों ने ऐसे गोले दागे कि गरीबी हटाओ का नारा आसमान तक चला गया। वहीं उसकी अंत्येष्टि हो गई क्योंकि विदेशी बैंक काफी तगड़ा हो गया था। बाबा रामदेव ने पिछले दो साल में ‘‘भ्रष्टाचार भगाना है ,अरबांे खरबों पाना है’’ का नारा देकर सारे देश और सारे विदेश से जो दौलत बटोरी वो स्वीजरलैंड के बैंकमैंनों को नीचा दिखाने के लिए काफी है। मुझे उम्मीद थी कि उनका नाम भ्रष्टाचार विरोधी कमेटी में नहीं आएगा और नहीं आया। सरकार चलानेवाले इतने मूर्ख थोड़े ही होते हैं। बाबा सरकार और सरकार विराधियों की आखों में बहुत खटक चूके थे। आखिर उनका भी देश है ,उनका भी संविधान है। उनका भी देश की दौलत पर उतना ही हक है। ज़ोर लगाओ मिलकर खाओ की पालिसी सफल पालिसी है। पर मैं हैरान था कि बाबा अब तक चुप क्यों हैं।
आखिर बाबा बोले। बिल्कुल सच्ची बात बोले। ‘‘पिता और पुत्र को एक साथ रखना यानी मां बेटे की,गाय और बछड़े की परंपरा को पुनजीर्वित करना।’’ अन्ना ने बाबा को छुद्र मानसिकतावाला कह दिया। बस मैं यही चाहता था। सत्ता अपने लक्ष्य में सफल हो गई। अन्ना ने सत्ता का रस पी लिया। भ्रष्टाचार पर बिल अब आए न आए भ्रष्टाचार उन्मूलन के बहाने जिन लोगों का पेट भर गया था ,अब भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक का संयुक्त प्रयास उसमें फ्रुटजूस का रंग और फ्लेवर लाएगा। बाबा योग चलाएंगे, दवा बनाएंगे और अन्ना हजारे के प्रणव के साथ होंगे बारे न्यारे। मैं कबीर के सबद के जरिये बाबा और अन्ना से पूछना चाहता हूं कि दौ मैं मूवा कौन ? उस परले सत्ताधारी पक्ष में सिंह साहब अगाड़ी है। प्रणव खिलाड़ी हैं। हम सब अनाड़ी हैं।
अस्तु, इतना सब जो मेरे हिसाब से घट गया तो अब मेरा ब्लड-प्रेशर नार्मल है। आप भी नार्मल रहें। ऐसे मनोरंजन तो होते रहेंगे। पुल्लिंग में जय हिंद,जय भारत। स्त्रीलिंग में भारत माता की जय। जननी जन्मभूमिः च स्वर्गदपि गरीयसे । नपुंसक लिंग में कहें तो मेरा देश महान। राष्ट्रदेवो भव!! सब मजे़ेदार है न !!!
व्यंग्य , 11.04